*जादूगर शाकाल *
एक बार रामपुर गाँव मे एक बहुत बड़ा मेला लगता है ।। उस मेले मे एक जादूगर भी आता है ।। सबसे पहले वो जादूगर राजा के पास जाता है और रामपुर गाँव मे अपना खेल दिखाने की इजाजत मांगता है ।। राजा उस जादूगर को खेल दिखने की इजाजत दे देते है।। अगले ही दिन वो मेले मे अपना तम्बू लगा कर खेल दिखाने लगता है।। राजू और उसके दोस्त भी जादूगर का खेल देखने जाते है।। उन्हें खेल बहुत अच्छा लगता है ।। वो खुश हो जाते है और जादूगर की खूब तारीफ करते है ।। आस - पास के गाँव से भी काफी लाेग जादूगर का खेल देखने आते है ।। जादूगर का खेल देख कर सभी खुश हो जाते है ।। एक दिन जादूगर खेल दिखा कर रात को आराम से सो रहा था कि अचानक वहां डाकू कालू पहुंच जाता है और जादूगर और उसके सारे सामान को उठा कर ले जाता है ।। अगले दिन सभी जादूगर का खेल देखने पहुचते है लेकिन जादूगर का तम्बू खाली देख कर सब मायूस हो जाते है ।। जादूगर का सामान तम्बू मे न देख कर सबको लगता है की जादूगर वहां से चला गया है सब मायूस हो कर घर लौट जाते है ।।लेकिन राजू को शक़ होता है ।। वो मिन्की से कहता है कि जादूगर यहाँ अच्छे पैसे कमा रहा था वो एक दम से ऐसे नहीं जा सकता और अगर जाता भी तो जाने से पहले महाराज की आज्ञा जरूर लेता लेकिन वो रात को ही क्यों चला गया ।। राजू ने तम्बू की छानबिन शुरु की और राजू को तम्बू के पीछे वाली जंगह पर बहुत से घोड़ो के पेरो के निशान मिले।। राजू ,मिंकी और अपने दोस्तों को साथ लेकर पेरो के निशान का पीछा करते हुए जंगल मे पहुँच जाता है ।। वहां वो देखते है की कालू ने जादूगर को बंदी बना रखे है और उसका सारा पैसा और सामान लूट लिया है ।। राजू डाकू कालू के पास जाता है और जादूगर को छोडने की बात कहता है लेकिन डाकू कालू उसको वापिस धमकी देता है और चले जने के लिए कहता है ।। लेकिन राजू मना कर के फिर डाकू कालू को जादुगर को छोडने के लिय कहता है | लेकिन कालू जादूगर को छोड़ने की बजाय राजू पर टूट पड़ता है उसके साथ लडने लगता है राजू और उसके दोस्त कालू और उसके सभी आदमियो को पीट कर जादूगर को छुटा लेता है ।। राजू कालू और उसके साथियों को सैनिकों के हवाले कर देता है ।। रामपुर गांव मे जादू का खेल फिर से सुरु हो जाता है और सभी खुशी-खुशी जादूगर का खेल देखते हैं |
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